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सुल्तान (سلطان) शब्द अरबी भाषा से आता है। मूल रूप से, यह एक अमूर्त संज्ञा थी जिसका अर्थ था 'ताक़त', 'अधिकार', 'शासन'। आम तौर पर यह उपाधि मुस्लमान शासकों के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह उन शासकों के शीर्षक के रूप में इस्तेमाल की जाती थी जिनके पास व्यावहारिक रूप से लगभग पूर्ण संप्रभुता थी (यानी वे किसी भी उच्च शासक को जवाबदेह नहीं थे) मगर वे ख़लीफ़ा होने का दावा नहीं करते थे। एक सुल्तान द्वारा शासित राजवंश और भूमि को सल्तनत कहा जाता है। भारतीय सुल्तानों को संस्कृत में सुरत्राण कहा जाता है। यह सुल्तान शब्द का लिप्यंतरण है।
नवीं सदी में ख़िलाफ़ते-अब्बासिया के समय ख़लीफ़ा की ताक़त घटनी शुरू हो गयी तथा उनके राज्यपाल लगातार और भी ज़्यादा शक्तिशाली होने लगे। चूँकि इस्लाम के अनुसार ख़लीफ़ा ही सारे राजनीतिक अधिकारों का स्त्रोत होता है, ये राज्यपाल (जो वास्तव में संप्रभु राजा बन चुके थे) ख़ुदको अब्बासी ख़िलाफ़त का प्रतिनिधि कहने लगे ताकि उनका राज्य धर्मानुसार वैध कहा जाए। और बदले में ख़लीफ़ा उन्हें शासन करने का मंशूर (अधिकार पत्र) देने लगे। महमूद ग़ज़नवी सुल्तान की उपाधि का इस्तेमाल करने वाले दुनिया के पहले स्वतंत्र मुसलमान शासक थे।[1]
भारत में: